Chapter -21

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सिया के इस तरह से अलग हो कर खड़े हो जाने से विक्रम को हैरानी नहीं हुई वो जानता था कि दिलावर सिंह ने उसके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया है कि वो अपने पापा की फ़िक्र तो करती है लेकिन उसका प्यार नफरत में बदल गया है !!!!

विक्रम सिया के करीब जाकर बोला " बेटा !! इतनी नफ़रत करती हो मुझसे ????

सिया ने विक्रम की आंखों में देखा और बोली" पापा !!! दिल तो नहीं मानता कि आप ऐसा काम कर सकते हैं लेकिन सारे सुबूत आपके खिलाफ है !!!! देखिए ना पापा आपने दिलावर सिंह के साथ इतना बुरा किया फिर भी उन्होंने आपकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है !!

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सिया ने विक्रम की आंखों में देखा और बोली" पापा !!! दिल तो नहीं मानता कि आप ऐसा काम कर सकते हैं लेकिन सारे सुबूत आपके खिलाफ है !!!! देखिए ना पापा आपने दिलावर सिंह के साथ इतना बुरा किया फिर भी उन्होंने आपकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है !!

विक्रम " ठीक है बेटा .... अगर तुम्हारे दिल और दिमाग ने मुझे गुनहगार मान लिया है तो मैं कोई सफाई नहीं दूंगा,जो तुम सज़ा दोगी वो मुझे मंजूर है !!!

सिया" पापा !!! मैं आपको माफ नहीं कर सकती !! अफसोस कि आप मेरे पापा है तो आपका बुरा भी नहीं चाहती ,बस आपकी सजा यही है कि मेरी और युवराज की शादी आपके सामने होगी और उसके बाद मैं और युवराज यहां से चले जायेंगे ,आपकी मेरी और युवराज की जिंदगी में कोई भी दखल अंदाजी नहीं होगी और ना आपका कोई खौफ !!!!!

विक्रम सिया को गौर से देखते हुए " ठीक है बेटा मुझे तुम्हारी खुशी के लिए ये सजा मंजूर है !!!!

विक्रम की बात सुनकर कब से चुपचाप खड़ा युवराज तल्खी से बोला" तो तुम अपने गुनाह कुबूल करते हो ????

विक्रम युवराज की तरफ देखते हुए " मुझे अपनी बेगुनाही किसी को भी साबित करने की जरूरत नहीं है अगर मैं अपनी बेटी की नजरों में गुनहगार हूं तो मैं हूं !!!

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