Chapter -26

185 5 7
                                    

सिया बड़े से गेट से बाहर निकल आई उसने बाहर खड़े होकर आसपास देखा तो दूर दूर तक सर्नाटे के इलावा कुछ नहीं था !! आसपास एकदम वीराना था !!!

सिया बोझिल मन से सोचने लगी :- कैसे जाऊंगी मैं अब घर ? कैसे ढूंढूं गी अपने पापा को ? किस मुंह से बात करुंगी मां से ? यहां तो दूर दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा है !!!!

तभी युवराज गेट से बाहर निकल आया और दुखी होकर बोला :- सिया प्लीज़ रुक जाओ !! साथ में चलते हैं क्योंकि ये रास्ता ठीक नहीं है दिलावर सिंह के आदमी आसपास हो सकते हैं तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है !!

सिया गुस्से से :- युवराज!!! मेरे पीछे मत आना .... मैं चली जाऊंगी अपने आप !! समझे तुम ,मेरे पीछे मत आना कभी भी ,जब तक मेरे पापा को मेरे पास नहीं ले आते ,मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करुंगी !!!

युवराज दुःखी होकर :- सिया !!!! मैंने तुम्हारे पापा को अगवाह नहीं किया है ना इसमें मेरा कोई हाथ है !! मानता हूं अभी हालात मेरे मुताबिक ग़लत चले गए हैं लेकिन मुझे खुद उम्मीद नहीं थी कि दिलावर सिंह ऐसा कुछ प्लान करके बैठा है !!!

सिया चीख कर :- तुम्हें कुछ नहीं पता था ???? क्या कहा तुमने ?? तुम्हें कुछ नहीं पता था ??? झूठ सब झूठ .... शुरू से ही सब झूठ बोलते आ रहे हो तुम मुझसे ..... मुझे यहां तक लाने का तुम्हारा मकसद सिर्फ मेरे पापा से बदला लेना ही था ,जो पूरा कर लिया तुमने !! नफरत है मुझे तुम्हारी शक्ल से भी अब !!!

युवराज की आंखों से लगातार पानी बह रहा था लेकिन उसके अंदर गुस्से की एक ज्वाला जल रही थी जो भड़क रही थी !!

बस युवराज सिया को यकीन दिलाना चाहता था कि वो ग़लत नहीं है लेकिन अभी हालात ऐसे हो गये थे कि सिया उसका चेहरा तक नहीं देखना चाहती थी !!!

सिया तेजी से उस सुनसान रास्ते पर आगे बढ़ रही थी ज्यादा रात तो नहीं हुई थी लेकिन अंधेरा सारी तरफ फ़ैल गया था क्योंकि आसपास सुनसान सूखे पेड़ों का जंगल सा था !!

युवराज सिया के थोड़ा पीछे पीछे चल रहा था उसकी हिफाजत के लिए कि कहीं रास्ते में उसके साथ कुछ ग़लत ना हो जाए !! जिस तरह सिया के सामने सारे हालात बन गये थे उसके हिसाब से युवराज जानता था कि सिया अब उसकी किसी बात का यकीन नहीं करेगी !!

 नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें