" नामर्द कही का!"
" क्या कहा तुमने, नामर्द? देखनी है मेरी... मर्दानगी????? बोल दिखाऊं ?????
एक पिता के जिगर का टुकड़ा उसकी बेटी जब किडनैप हो जाती है तो उस बाप पर क्या बीतती है
एक ऐसी अनहोनी होती है कि बेटी के आगे बाप का अतीत खड़ा हो जाता है ऐसे...
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विक्रम सिया के सामने बैठ गया ,वो समझ चुका था कि उसकी फूल सी गुड़िया को आज वो सब पता लग चुका था जो वो सालों तक छिपाता रहा !!!
लेकिन विक्रम इस बात से दुखी था कि उसकी बेटी को जो भी पता लगना था वो इस बुरे तरीके से नहीं पता लगना चाहिए था,इससे एक बात साफ जाहिर हो जाती है कि दिलावर सिंह अपने घटिया मनसूबे में कामयाब हो गया था !!!!!
गुड़िया एक टक विक्रम की आंखों में गहराई से देख रही थी .. विक्रम उसकी तीखी नजरों का सामना नहीं करना चाहता था जिन आंखों में बचपन से उसने अपने लिए प्यार देखा था उन आंखों में आज नफरत झलक रही थी !!!!
विक्रम ने अपनी नजरें झुका ली !!!
सिया पापा को एक टक गहराई से देखते हुए मन ही मन सोच रही थी कि काश मैं पापा से जो भी सवाल करु उनका जवाब पापा "ना " में दे क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि जो भी युवराज ने पापा के बारे में कहा था वो सच हो !!!!!
उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ भी पूछने की लेकिन उसे सच तो जानना ही था ,सच जानें बिना वो अपने पापा को बेगुनाह कैसे साबित करती !! लेकिन डर इस बात का था कि अगर युवराज की कही हुई बातें सच हुई तो उसे अपने पापा को छोड़ कर जाना होगा .. यही तो वादा करके आई थी वो युवराज से !!!!
इसी कशमकश में उलझी वो पापा की तरफ गहराई से देख रही थी !!!
तभी विक्रम के पास खड़ी अनीता से रुका नहीं गया वो बोल उठी "" विक्रम !!!! क्या चल रहा है यहां ???? तुम ये सब करने ही क्यों दे रहे हो गुड़िया को ? उसके कुछ पूछने से पहले तुम सच क्यों नहीं बता देते !!!!!! अनीता ने इतना कुछ झल्लाहट में बोल दिया और विक्रम की तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी !!!!