Chapter-3

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"ये लो कुछ कपड़े और कुछ सामान है इसमें ...उठो और बाथरूम में जाके फ्रेश हो लो !
वो बिल्कुल उसके पास खडा होकर बोला था उसके हाथ में एक झोला था !
लेकिन सिया ने उसकी तरफ देखा भी नहीं बस रोये ही जा रही थी !
वो झुका और उसने अपनी दोनों बांहों से पकड़ कर सिया को एक ही झटके में खडा कर दिया और बहुत नरम आवाज में बोला " जाओ पहले चेंज कर लो फिर जो दिल करे करना !

सिया ने रोते रोते उसकी तरफ देखा "उसकी सिर्फ आखे ही नज़र आ रही थी ! उन आंखों में आज गुस्सा नहीं था !

सिया ने झोला पकड लिया और बाथरूम की तरफ चल पडी!
कुछ देर बाद सिया कपड़े बदल कर कमरे में आई उसने देखा बिस्तर पर नई चादर बिछा दी थी !
वो चुपचाप बिस्तर पर लेट गई !
"ये लो अब ये फ्रूट खा लो " वो फ्रूट की प्लेट हाथ में लेकर खडा था ! उसकी आवाज में नरमी थी !
सिया ने उसकी तरफ देखा भी नहीं बस अपनी बांह अपने माथे पर रखकर छत को घूर रही थी !
सिया की तरफ से कोई भी हलचल ना होने पर वो प्लेट मेज पर रख कर बाहर चला गया !
वो फिर अंदर आया और बोला " लो कर लो जो तुम करना चाहती थी !
सिया ने तेजी से पलट कर उसकी ओर देखा तो वो अपने हाथ में वही फस्टऐडकिट लेकर खडा था उसनेअपनी जैकेट खोली और बांह की कमीज़ उठा कर सिया की तरफ बांह करके बोला " तुम बाहर यही लगाने आई थी ना मेरे लेकिन मैने तुम्हे गलत बोला और मारा ! तो लो लगा दो मेरे दवाई !
सिया उसकी बात सुनकर दुसरी तरफ मुंह कर लिया और लेटी रही !
"आखिर तुम मेरा दिमाग ख़राब करने में क्यू लगी हो ?? वो झल्ला कर बिस्तर पर बैठ गया और सिया को अपनी दोनों बांहों से पकड़ कर उठा कर बैठा दिया और

सिया के झुके हुए मुंह के पास होकर बोला " देखो मेरा दिमाग पहले ही सटका रहता है और उपर से तुम्हारी ये चुप्पी , मेरे लिए मुश्किलें खडी मत करो ..खाओ पियो और मेरे साथ कोपरेटिव रहो !

सिया ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोली " तुम्हारे लिए मुश्किलें ‌??? मतलब मै तुम्हारे लिए मुश्किलें खडी कर रही हू ! कैद मे मै हू जिंदगी मेरी खराब हो रही है ! मार पीट मुझे रहे हो ! और कहते हो कि मुश्किल में तुम हो !
मै तुमसे कोपरेटिव क्यू रहू ? तुम मुझे छोड क्यू नही देते ?
वो सिया को छोड कर खडा हो गया और बोला " नही छोड़ सकता तुमक़ो !

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