छोटे से कंधो पे ,
जैसे बोझ बहुत है ,
चलना है जैसे उम्र भर,
और मंज़िल जैसे दूर बहुत है ,
कहती ज़िन्दगी एक पल को ,
रुक जा ,
पर यहा लोगों के अरमान बहुत है ,
थक के मुस्कुरा के ,
जो बैठूं तन्हाई में ,
लोग कहते है ,
ज़िन्दगी में आराम बहूत है ,
और जो भीगीं होंगी पलके कभी ,
लोग कहते है ,
तेरे होंठो पे मुस्कान बहुत है ....