इक तू ....
और तेरी हूँ परछाई मैं....
जहाँ रहूँ.....
तेरी खुशियो की हूँ अंगराई मैं.....
नींदों से रिश्ता टूट जाता तेरा.....
जो कभी अपनी ही.....
ख्वाबो से दर जाऊ मैं......
अपनी गोद को पालना बनाती......
जब भी नींद से जग जाऊ मैं......
घर उठा लेती सर पे.......
जो कभी उसकी आखो से.....
ओझल हो जाऊ मैं......
आंसू आ जाते है पलकों पर उसके.....
जो प्यार से उसे माँ कह जाऊ मैं.....
इक तू माँ....
और तेरी ही हूँ परछाई मैं.....!!!
8 May 2017