तुम्हे देखे तो एक जमाना हुआ ,
हा , बस यादो के कुछ एक पन्नो पर तेरा ज़िक्र आज भी है ,
मुहब्बत की थी तूने अधूरी ,
पर उन पन्नो पर मेरी मुकम्मल इश्क़ की दास्तान आज भी है ,
नजरे मिली थी जिस खामोशी से तुमसे ,
उन खामोशियो की बात किसी पन्ने पर आज भी है ,
हा , अब मन्दिर, मस्जिद ,गुरूद्वारे की सीढ़िया चढ़ता हु अकेला ,
पर तेरे लिए दुआ करने की आदत आज भी है ,
जब भी चलता हूं सुनी रास्तो पे हर शाम ,
तेरा हाथ पकड़ कर उन रास्तो पर चलने की चाहत आज भी है ,
तुम होगे चाहे जहा भी रहोगे मालूम है मुझे ,
पर तेरी फिकर करने की खोवाहिश दिल को आज भी है ,
ग़ुम हो जाता हूं आज भी उन्ही लम्हो में कहीं ,
हा , शायद लगता है जैसे मुझे तुमसे मुहब्बत आज भी है ....
तुम्हे देखे तो एक जमाना बीत गया....
बस दिल में कहीं ना कही तेरा ज़िक्र आज भी है....
8 Oct 2017