किसी शायर की खामोश गज़ल,
तू बनकर तो देख ,
उसके लफ्ज़ों से उसके दिल मे ,
तू उतरकर तो देख ,
उसके ज़ज़्बातों से ,
तू उलझकर तो देख ,
उसको अपने दिल की लत ,
तू बनाकर तो देख ,
उसके आवारा धड़कनो को दिल मे ,
तू पनाह देकर तो देख ,
इश्क़ ना हो जाये तो कहना !A$***
To kahna..!
किसी शायर की खामोश गज़ल,
तू बनकर तो देख ,
उसके लफ्ज़ों से उसके दिल मे ,
तू उतरकर तो देख ,
उसके ज़ज़्बातों से ,
तू उलझकर तो देख ,
उसको अपने दिल की लत ,
तू बनाकर तो देख ,
उसके आवारा धड़कनो को दिल मे ,
तू पनाह देकर तो देख ,
इश्क़ ना हो जाये तो कहना !A$***