Hisaab***..!

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कोरे पन्नों पे लिखते रहे इश्क़,
धड़कनो से रूह तक,
उतरने का हर एहसास लिखा है,
कुछ उधार इश्क़ में ,
और थोड़े बिताये हर रोज,
उस वक़्त का हिसाब लिखा है,
जितनी नजदीकियां रही तुमसे,
हा.. एक पन्ने पे इक दफ़ा नही,
शायद कुछ हजार दफ़ा लिखा है,
जितने बुने थे सपने साथ मिलकर,
अधूरी रही दिल की हर बात,
किसी पन्नें पे हर इक ख्वाब लिखा है,
ना जाने कितने सवाल थे उनके,
कुछ का ख़ामोशी में दिए और,
बहुतों का मुस्कुराहटों में दिए,
जवाब का हाल लिखा है,
इन पन्नों पे अपने और उनके,
अधूरे लफ़्ज़ों में बयां उनसे इश्क़ है,
ये बात इस किताब के हर पन्ने पे बार बार लिखा है।
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A$***
4 Feb 2018

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