पहला इश्क़ था मेरा ,
ना जाने आखिरी कब हुआ ,उम्र गुजर गई ना जाने कब ,
फिर भी ज़िन्दगी उलझी रही ,
तेरे जुल्फों के दरमियां ,ख़्वाब बनकर ,
आँखों मे उतारना था तुम्हे,
और तू ही पानी बनकर ठहरा यहाँ ,दुआ कर आये थे ,
खुदा के हर दर पर ,।
फिर भी मेरा इश्क़ क्यों मुकम्मल ना हुआ ,पहला इश्क़ था मेरा ,
ना जाने कब आखिरी हुआ ,
2 August 2018