Izhaar Nahi Hota***..!

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इश्क़ तो आज भी है,
अब उनसे बस लफ्ज़ो से इज़हार नहीं होता,
बातें उनसे ना हो अब तो ,
उनपे भी अब कोई सवाल नहीं होता,
उनको देखने की चाहत आज भी है,
पर दिल में अब वो बवाल नहीं होता,
जिनकी जुल्फों के गिरने से होती थी शामें ,
अब उन शामों का इंतेज़ार नहीं होता,
जिनकी मुस्कुराहटो से चलती थी साँसे,
उन सासो पे शायद अब उनका वो नाम नहीं होता ,
हां, इश्क़ तो आज भी है,
पर उनके इश्क़ पे अब वो ऐतवार नहीं होता ,
चला करती थी धड़कने जिस शान से उनके दिल की ओर ,
अब उन धड़कनो का भी वो अरमान नहीं होता ,
उनके ख्यालो से तो गुलज़ार आज भी हु ,
बस दिल के गुलशन में अब वो फूल नहीं खिलता ,
उठा करती है हथेलियाँ उनके लिए हर रोज ,
पर हा अब उनको माँगने का ख्याल नहीं होता ,
इश्क़ तो उनसे आज भी है ,
पर अब उस इश्क़ में कोई आवाज नहीं होता ...!
17 April 2018

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