Chapter- 17

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मेरे लगातार मुक्के खा कर इन्स्पेक्टर के मुह से खून आने लग गया था !!

मुझे कई सारे सिपाहीयों ने पकड कर बांध दिया था ,लेकिन मैं गुस्से में बोला ,,,,;-" तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन के बारे में ऐसी बेहुदा बाते कहने की !! हाथ खोल मेरे तुझे यही गाड नही दिया तो मेरा नाम राज नही !!

इंस्पेक्टर गुस्से में उठा जो मेरी मार खा के जमीन पर गिर गया था ,उसने खडे होते ही मेरे डन्डे मारने शुरू कर दिये और बोला ";- अब तो तू गया  बैणचोद.....डाल दो इसे जेल में !! सडे गा अब ये पूरी उम्र जेल में तो इसकी अक्ल ठिकाने आ जाये गी !!

सिपाहीयों ने मुझे पकड कर सलाखों के पीछे डाल दिया !

मैं जान चुका था कि ये सारा काम जमींदार का है वो अब मुझे यहा से निकलने नही देगा !!!!!

तभी मैने देखा जमीदार का लडका नमन थाने में दाखिल हुआ !! और चौडा हो के मेरे सामने कुर्सी डाल कर बैठ गया ,वो इन्स्पेक्टर भी उसके पास ही खडा हो गया !!!!

नमन  बेशर्मी भरा मुंह बना के मेरी तरफ देखते हुये बोला ";- समझ आ गया तुझे मुझ से पंगा लेने का अन्जाम !!

""अब तू यही सडेगा सारी उम्र क्योकि मेरा बाप तुझे बाहर आने ही नही देगा !! यह कहते हुए वो और इंस्पेक्टर दोनों खिल खिला कर हंस पडे !!

नमन";- वैसे अब मैं तुझे वो सब बता देता हू जिसके लिये तू इतना तडफ रहा था !!

नमन की आंखों में बहुत ही बेशर्मी सी उतर आई थी वो बोला ;-" वैसे तेरी बहन थी बहुत मजेदार !! बहुत मजा करवाया उसने मुझे !! साली खुद ही कपडे उतार देती थी ! अपना एक एक अंग  दिखा दिखा दिखा कर कपडे उतारती थी कि एक नशा सा हो जाता था मुझको !! वो तो मेरे से  रोज चूस चूस कर मांगती थी !!

नमन ठहाकां मार कर हसने लग गया और वो इंस्पेक्टर भी !!

मैने गुस्से में अपने हाथ भींच लिये और कहा";- चूतिए..!!! हिम्मत है तो मुझे बाहर निकाल एक बार ,फिर बोल मेरी बहन के बारे में ,देख फिर तेरी लाश के टुकडे कर के कुत्तो को ना खिला दिया तो मेरा नाम राज नही !! मैं गुस्से में उबल रहा था !!!!!!

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