Chapter-18

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मुझे जेल में दो दिन हो गए थे पुलिस वाले मुझे लगातार मार पीट रहे थे !!

तभी तीसरे दिन इन्स्पेक्टर ने मेरे पास आ के मेरे हाथो में हथकडी लगा के चलने को कहा और बोला ";-" चल कोर्ट अब तुझे सजा होगी ,फिर जेल में आराम फरमाना !!!!

मैं जानता था कि ये लोग मुझे लेकर सीधा जायेगे कोर्ट !

मैं चुप चाप चल पडा ,और बाहर पुलिस की गाडी में बैठ गया था,मेरे दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि मुझे यहा से निकलना है और यहां से कोर्ट तक का रास्ता 24 मिनट का था ,तो मुझे जो भी करना था इस 24 मिनट में ही करना था !!!!!

गाडी चलने लगी और फिर 10 मिनट गाडी चलने के बाद मैंने गाडी में चिल्लाना शुरू किया और बेहोश होने का नाटक करने लग गया !!

इन्स्पेक्टर ने तुरन्त गाडी रूकवा दी और चिल्ला कर बोला ";- अरे गाडी रोक इसको क्या हो गया ? कोर्ट ऐसे कैसे ले जाये गे ..बिमार पड़ गया तो इसकी सजा रुक जायेगी !!!!

वो मुझे जगाने की कोशिश करने लग गया मेरे मुंह पर पानी के छींटे भी मारे लेकिन मै तो जैसे हिला ही नही !!

वो घबरा कर बोला ";-" गाडी अस्पताल की तरफ लो ,पहले किसी डाक्टर को दिखा कर फिर ले जाते है कोर्ट...!

"सिपाही ;-" साहब" कही मर तो नही गया ? कल रात आपने बहुत पीटा भी तो था !!

इन्स्पेक्टर ;-" अरे नही सांस तो चल रही है ,चिल्ला कर बेहोश हो गया है तू गाडी अस्पताल की तरफ ले !!

गाडी अस्पताल की तरफ मोड ली थी उस इन्स्पेक्टर ने ,मेरे पास अब 10 मिनट और जुड गये थे क्योकि अस्पताल यहा से कोर्ट वाले रास्ते से साईड से होते हुये थोडा आगे था !

साईड वाला रास्ता उसी हाईवे की तरफ जाता था जहां से आगे जंगल का एरिया था !!

बस मै अचेत बिना हिले डुले लेटा रहा !!!!!!! ‌

तभी वो इन्स्पेक्टर जोर से चिल्ला कर  ड्राइवर को बोला ";-" अबे  गाडी किधर ले जा रहा है आगे से सीधे हाथ को मोड !!!!!

बस यही मौका था मेरे पास क्योकि आगे वही जंगल वाला रास्ता आने वाला था !!!!

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