ख़ामोशी
By Nablai
मेरी ख़ामोशी को कभी ख़ामोशी से सुनउसमे है एक अलग सी धुन,
कई तरंगें हैं ईसकी
और कई अनकहे गम I
कभी बाते करती हूँ अकेली
आहें सिसकी हुई सारी,
दिल टूटा फिर से मेरा
तनहा, अकेला I
कहाँ जाऊं मैं
बिखरी हैं यादें,
किसे बताऊँ मैं
टूटे हैं वादें I
ज़िन्दगी किस मोड़ पर खड़ी
मेरे आँखें है भरी,
दिखता नहीं कुछ भी
धुंधला सा है जहाँ I
मैं अपना रस्ता
तन्हाई में चलूंगी,
छाले पैर पर हैं बहुत
वक़्त का नहीं कोई सुद,
बस राह है सामने
हम पार करेंगे फासले I
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Tevun-Krus #75 - International 4: SolarPunk
Science FictionOne sun, one planet, one people. Welcome the fourth International Edition of Tevun-Krus, where you can find excellent sci-fi in all sorts of non-English languages! (Don't worry, there's some English, too!) This time around, we tackle the little-know...