23.वजह तुम थे!

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उन सारी गलतियों की वजह तुम थे!

उस दबे होंठ चलने की सज़ा तुम थे!

कागज़ के टुकड़े पर उतरे जस्बात भी तुम थे!

हयात से बिछड़े वह साथ तुम थे!

ग़म के ख़ज़ाने में छिपी,

ज़िन्दगी की वह गहरी सीख भी तुम ही थे!

उन सारी गलतियों की वजह ही तुम थे!

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