अब बस .. बोल रही हूँ मैं.
अब बस .
यूँ हर बार चुप्पी नहीं साधी जाती .
यूँ हर बार ज़हन में
दर्द छुपाया नहीं जाता.
यूँ हर बार उन आखों को ,
अपनी और इस कदर देखते हुए
नहीं देखा जाता .
बेचैनी जो दिल में है ,
उसे संभाला नहीं जाता.
खामोश रहने की
कोशिश तो बहुत करती हूँ में,
पर आज बस बोल उठी हूँ मैं.हाँ फक्र है की यूँ खड़ी हूँ मैं.
हाँ नाज़ है यूँ लड़ रही हूँ मैं .
तुमने बिगाड़ा था चेहरा मेरा,
मगर आज भी खूबसूरती में ढल रही हूँ मैं .मिटा नहीं सकते तुम दिल की इस खूबसूरती को ,
जिस्म तो दम भर का है मेरा .
खुदा भी फर्क करेगा मेरे ज़हन पर ,
यह दर्द तो पल भर का है मेरा !अब बस बोल रही हूँ मैं !
उस दर्द को सहना तुमने सिखाया था
दर्द में इतना तुमने रुलाया था
फिर भी यूँ जी रही थी मैं!
पर बस अब !
आज बोल रही हूँ मैं .
इंसान नहीं हैवान हो तुम ,
यह समझलो .
वक़्त आने से पहले
संभल लो !अब उन जाहिल नज़रों से न देखना कभी,
चुप थी तब ,
पर अब और नहीं !
अब बस करो यह मनमानी अपनी ,
मैं नहीं हूँ कठपुतली तुम्हारी.
यूँ न खेलो इस रूह से मेरी ,
मत खादों अपनी कब्र ऐसी!
बस इतनी सी करलो खुदपर मेहेरबानी ,
मत करो अपनी यह नादानी !तेजाब तो तुम खुद पी गए
जल भी खुद रहे हो तुम !
ऐसी हश्र खुदकी करी है ,
की आने वाले कल में ,
इस भोज को सह न सकोगे तुम !चुप थी मैं ,
पर अब बोल रही हूँ .
बदलो यह सोच तुम्हारी,
अब दरखास्त नहीं आगाह कर रही हूँ .********
******
***
आप पढ़ रहे हैं
Syaahi !
Poetry#Ranked 2 in wattycontest Collection of Hindi poetry and shayaris! words and language, feelings or emotions said or unsaid better inked ! Emotions inked into words ! hope you like my collection of Hindi poetries !