5.कुछ एहसास

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कुछ एहसास छिपी थी उन आखों में,
अश्को से होते हुए न जाने कब
दिल में उतर गई!

इन एहसासों में छिपी दर्द भी अब ,
अश्को को यो सूखा कर गई!

पल भर और अब इन एहसासों की डोर
थाम न पाएंगी यह आखें !
अश्कों में भी अब दर्द न ढून्ढ पाएंगी यह आखें!

कुछ एहसास छिपी थी उन आखों में,
अश्को से होते हुए न जाने कब
दिल में उतर गई!

अश्को में रहकर यो अश्को से 
न चाहते हुए भी वफ़ा कर गई !

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