अनजान थी मैं उन राहों से,
जिसपर चलना माकूल न था !
एहसासों के तले दबा हुआ वह ,
कम्बख्त दिल मेरा नादान था!
होश न थी की वह है इतना नाज़ुक ,
की राहों के काटों से ,
कोई शिकवा न था !
अनजान थी मैं उन राहों से,
जिसपर चलना माकूल न था !
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Syaahi !
Poetry#Ranked 2 in wattycontest Collection of Hindi poetry and shayaris! words and language, feelings or emotions said or unsaid better inked ! Emotions inked into words ! hope you like my collection of Hindi poetries !