34. एक हर्फ़

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कुछ बातों का दिल में ही घर करलेना सही है,
एक हर्फ़ भी जुबान को जंचते नहीं,
उन बातों के ज़िक्र में गम सैर हैं,
इन नमकीन जस्बातों का बयान
काबिल-ए-तारीफ़ नहीं!

मयस्सर इन खबरों का उड़ना ग़लत है,
इनको दिल से बाहिर करना ख़ैर नहीं,      
अश्कों में जीना मकबूल हैं इन्हें,
इज़तिहार भरी रिवायत में
इनको पल भर का चैन नहीं!     

                   समंदर की लहरों से भी तेज़ चाल हैं इनकी,                     रूखे ख़ाक में मिलना भी मंज़ूर नहीं,
लहज़े में लिहाज़ रखने का भी शौक हैं इनको ,
जस्बातों का अल्फ़ाज़ों में अदा होने का
इन्हें ज़रा भी होर नहीं!   

......

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⏰ पिछला अद्यतन: Aug 24, 2022 ⏰

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