मेरे खामोशियों में छिपी बातों को समझो ,
मेरे अलफ़ाज़ नहीं जस्बातों को समझो ,
मेरे हरकत में घुले झिझक को समझो ,
मेरे दिल में मेहफ़ूज़ उस डर को समझो!महफ़िल के इस खौफ में झुलसे ,
इस शक़्स को समझो !
अब मेरे शब्दों को नहीं ;
मेरे रूह को समझो !मेरे नज़रों में बहती इश्क़ को समझो ,
लव्ज़ों में ढलते अश्कों को समझो ,
अब रेत से फिसलते मेरे सब्र को समझो ,
बस मुझमें बसे इस एहसास को समझो !
आप पढ़ रहे हैं
Syaahi !
Poetry#Ranked 2 in wattycontest Collection of Hindi poetry and shayaris! words and language, feelings or emotions said or unsaid better inked ! Emotions inked into words ! hope you like my collection of Hindi poetries !