4.अनजान थे वह!

47 1 0
                                    


अनजान थे वह!
हमसफ़र बनने की चाह थी उनकी ,

राह में निकले मुसाफिर थे वह !
हमसे टकराना चाह थी उनकी ,

इन पहेलियों में एक पहेली थे वह!
इन रिश्तों में उलझना चाह थी उनकी,

अनजान थे वह!
हमसफ़र बनने की चाह थी उनकी,

लफ़्ज़ों में छिपी मुस्कान थे वह,
हमारे मुस्कराहट में शामिल होना इबादत थी उनकी !


***********************
*****

Syaahi !जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें