आज उनके लव्ज़ों में कुछ और ही रंग थी
मौसम में बदलाव कुछ भीनी-भीनी सी थी
आज फीके पड़े उस चुनर पर भी रंग थी
आज इतने दिनों के इंतज़ार की ,
आखरी जंग वह थी !आज उनके रंगों में छिपी हुई वह इश्क़ थी !
सफेदी में छिपे उस शक्स की आज,
दिल में कई रंग थी
रंगों में डूबे उन नज़रों में अब मेरी अश्क थी
लव्ज़ों में आज इज़हार की,
प्यार की उमंग थी ;रंगों में छिपी आज ,एक और रंग हसीन थी !
इश्क़ के इज़हार की गुलाबी यह गुलाल थी!
इश्क़ के इज़हार की गुलाबी यह गुलाल थी!
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Syaahi !
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