33. काँच

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काँच सा है दिल मेरा
यूँ तोड़ो न उसे,

रेत के ढेर के भाती
यूँ पीछे छोड़ो न मुझे,

अपनों सा एहसास है तुमसे
यूँ पास आए हो!

रिश्ता बड़ा ही नाजुक सा है यह
यूं खुद से दूर कर,

गम के रंग में रंगो न इसे!

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