अध्याय 4 (भाग 10)

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गुफ़ा में कुबेर और उसके सिपाहियों ने पहरा दे रखा था। मधुबाला बच्चे और बुजुर्गों का ध्यान रख रही थी। तभी इन्द्रजीत व बाकी आ गए। इन्द्रजीत ने तुरंत मुखिया अमरनाथ को बँधी बनाने की आज्ञा दे दी।

"सिपाहियों।" सेनापति कुबेर ने अपने सिपाहियों से अमरनाथ को बँधी बनाने को कहा। सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया।

"युवराज! किंतु मैंने क्या किया?" मुखिया ने घबराते हुए पूछा।

"मुखिया जी, ये पूछिये की अपने क्या नहीं किया।" अर्जुन ने आगे आकर निराशा में कहा।

"क्या सिर कटी चुड़ैल के पीछे आप है?" इन्द्रजीत ने पूछा।

गुफ़ा में बैठे जगतपुर के लोग चौंक गए। वहाँ हलचल मच गयी। 

"ये...ये सब आप क्या कह रहे हैं, युवराज!" अमरनाथ बोला और सबकी ओर देखने लगा। "मैं ये सब क्यों करूंगा! मैं तो स्वयं इन सब के पीछे जो है उसे पकड़ना चाहता हूं...मैं ये सब-"

"हम उर्मिला से मिल चुके हैं। उसने हमे जो कुछ बताया उससे केवल आपकी ओर संदेह जाता है।" इन्द्रजीत ने उसकी बात काटते हुए कहा। 

ये सुनकर मुखिया चुप हो गया। गुफ़ा में हलचल और भी बड़ गयी। कुछ देर शांत रहने के पश्चात वह हँसने लग गया। बच्चे भयभीत होकर अपने माँ बाप से लिपट गए। "हाँ! मैंने ही किया ये सब! मैं ही हूँ सबके पीछे! किंतु, युवराज! मैंने सब आपके लिए किया। मैंने सवर्ण लोक का इंतकाम लेने के लिए किया! अब केवल ये चंद लोग बचे हैं! इन्हें भी मार देते हैं!" उसने कहा।

ये सब सुनकर इन्द्रजीत को समझ आ गया कि उसने ये सब क्यों किया।

"वर्षों पूर्व जब सवर्ण लोक को जगतपुर की सहायता की आवश्यकता थी तब जगतपुर ने अपने सिपाही ना भेजकर सवर्ण लोक का नुकसान कराया था। सवर्ण लोक गण राज्य से युद्ध हार गया जिससे अधिक मात्रा में सिपाही वीर गति को प्राप्त हुए। उनमे से हमारे महाराज (इन्द्रजीत के दादा श्री) भी वीर गति को प्राप्त हो गए थे। मैं भी उस युद्ध में एक सिपाही था। मैं कैसे भूल जाता? यदि उस दिन जगतपुर ने सहायता के लिए अपने सिपाही और यंत्र भेज दिये होते तो महाराज व मेरे साथी जीवित होते। जगतपुर के साथ मैंने जो किया वो सही है! मुझे इंतकाम लेना था किंतु उसके लिए मुझे एक महुरे की आवश्यकता थी। इसलिए मैंने उर्मिला के पति को पत्र भेजा मेरे लिए काम करने के लिए किंतु उस मूर्ख ने मना कर दिया। मजबूरन मुझे उसे मारना पड़ा। फिर मैंने उर्मिला का प्रयोग किया। उर्मिला पकड़ी ना जाए इसलिए मैंने प्रमोद का प्रयोग किया। उसे कार्यालय में काम करवाने के बहाने उसे बुलबुल और सिपाही की कहानी पढ़ाई। फिर उसकी धर्मपत्नी की हत्या की ताकि सबका ध्यान उसकी ओर जाए और उर्मिला बिना संदेह के लोगों को मार सके। प्रमोद अपनी पत्नि की मृत्यु के बाद पागल हो गया जिससे उसे नियंत्रण में लाना और भी सरल हो गया। मैंने उसके खिलाफ़ ये अफवाह फैलाई की उसने अपनी पत्नी की बलि चढ़ा दी। फिर उसके बच्चों को भी मार दिया। जिससे सबका ध्यान पूरी तरह से उसकी ओर चला गया और मैं बदला लेता चला गया।" वह हँसता रहा।

ये सुनकर तीर्थ अपने पैरों पर खड़ा ना रह पाया और नीचे गिर गया। लव तुरंत उसे सम्भालने लगा। तीर्थ की आँखों से अश्रु बहने लगे। उसे अपने किए पर पछतावा हुआ, "मैंने अपने ही पिता को अपनी माँ का कातिल समझ लिया ? ये...ये मैंने क्या किया। माँ...मुझे कभी क्षमा नहीं करेंगी...मेरे भाई...बहन..." उसने अपने पिता की ओर देखा और खड़ा हो गया। वह उसकी ओर जाने लगा। उसके पिता अमरनाथ के साथ खड़े थे कि तभी अचानक अमरनाथ ने सिपाहियों से अपना हाथ छुड़ा लिया और तलवार लेकर प्रमोद यानी तीर्थ पिता के सीने में घोंप दिया। प्रमोद लहू लोहान हो गया। वह पीड़ा में चिल्लाया।

"पिता जी!" तीर्थ चिल्लाया। उसे मारकर अमरनाथ भागने ही वाला होता है कि तीर्थ ने अपनी तलवार ली और उसके सीने में घोंप दी। उसे मौत के घाट उतार दिया। ये करके उसने सबकी ओर देखा। तभी इन्द्रजीत आगे आया और उसके हाथ से तलवार अपने हाथ में ले ली। उसने सेनापति कुबेर की ओर देखा। कुबेर समझ गया।

तीर्थ तुरंत प्रमोद की ओर रोते हुए भागा, "पिता जी!" उसने उसका सिर अपनी गोद में लिया और रोने लगा। प्रमोद अभी भी जीवित था। "मुझे छोड़ के मत जाइए! मैं...मैं विश्व का सबसे नीच पुत्र हूँ! मैंने अपने ही पिता को मारने का सोचा...अपने ही पिता पर मैं विश्वास ना कर पाया! मैं इस पाप के साथ कहा जाऊँगा!" वह रो रहा था। तभी उसके पिता ने उसका हाथ पकड़ा और उसे चूमा। ये देखकर तीर्थ और भी अधिक रोने लगा. तभी प्रमोद का हाथ नीचे गिर गया; वह मर गया।

"पिता जी..." तीर्थ को विश्वास ना हुआ। वह तुरंत उसके पैरों की ओर गया और उन्हें छुआ, "आप चाहते थे कि मैं आपका आशीर्वाद लू...आज पैर छू रहा हूँ..तो...तो आप आशीर्वाद क्यूँ नहीं देते..." उसके अश्रु झरने जैसे बह रहे थे। लव उसकी ओर गया और उसके कंधे पर हाथ रखा। तीर्थ अपने पिता को गले लगाए रोता रहा।



BL - क्षत्रिय धर्म सर्वप्रथम (Duty Always First)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें