अध्याय 1 (भाग 2)

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अपनी सखी के प्रति ऐसा दुर्व्यवहार देखकर अर्जुन तुरंत ही उसके पास दौड़ा आया।

"मधु! इनसे तो मैं निपटा हूँ।" यह कहकर वह मुस्कुराया। किंतु मधुबाला ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया।

"कुमार, हमें जितना हो सके ऐसी परिस्थितियों को नजरअंदाज करना है। याद है ना महाराज ने क्या कहा था।" मधुबाला ने कहा और अर्जुन का हाथ पकड़कर वहाँ से जाने लगी कि तभी उन नौजवान लड़कों में से एक ने पीछे से राजकुमार अर्जुन का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया। मधुबाला चौंक  गई और तुरंत ही मुड़ गई। "कुमार!" वह चींख पड़ी।

अर्जुन भी कम नहीं था। वह तो ऐसे ही क्षण के इंतज़ार में था कि कब उसे उन लोगों को सबक सिखाने का मौका मिलेगा। उसने अपनी कमर से बँधी तलवार को म्यान से निकला और उस लड़के के गले पर निशाना साँधा। "क्यों? चौंक गए?" ऐसा कहकर वह हँसने लगा। उसने मधु की ओर देखा और उसके हाथ से वह लड्डू छीन लिया। "इसी क्षण के इंतज़ार में था यह लड्डू भी।" और उसने उस लड्डू को एक ही बार में खा लिया।

"वाकई में। आप सच में राजकुमार है?" अर्जुन की तलवार का निशाना बने नौजवान ने कहा। अर्जुन ने लड्डू चबाते हुए उसकी ओर देखा और अपनी तलवार को वापिस म्यान में डाल लिया।

"जी बिलकुल। राजकुमार तो हम है और वो भी अंबुझ राज्य के। पुरे विश्व में सबसे अधिक खुबसूरत जगह। और मेरा शुभ नाम, अर्जुन वेनू।"

"अद्भुत!" वह लड़का बोला। "मुझे खुशी होगी अगर आप जैसा कोई हमारा भी मित्र बने। मेरा शुभ नाम  देव, और कुल कमल। यानी देव कमल।" वह मुस्कुराया।


देव कमल

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देव कमल


"वाह। नाम देव और हरकतें शैतानों वाली।" अर्जुन उसे ताना कसते हुए हँसा। इससे मधुबाला भी हँस पड़ी। और देव कमल के साथ उसके बाकी तीन मित्र भी। इस मज़ाक से स्वयं देव के चहरे पर भी मुस्कान आ गयी।

"वैसे... " देव ने शर्मिंदगी भरी नज़रों से अर्जुन की ओर देखा, "अभी कुछ क्षण पहले मेरे इस मूर्ख मित्र ने आपकी सखी के साथ गलत सूलूक किया। उसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूँ।" उसने गर्दन झुकाके माफ़ी मांगी। नकुल, वह मित्र जिसने मधु को छेड़ा, ने भी अपनी गलती का अहसास करके माफ़ी मांगी। उसने तो बस मज़ाक ही किया था पर हर बात मज़ाक नहीं होती। इस बात का अहसास उसे अपने जीवन के 18 वर्ष में आज तक नहीं हुआ।

"ममम। माफ़ किया।" मधुबाला ने जवाब दिया। "किंतु उसका क्या जो आपने मेरे राजकुमार के साथ किया?" उसने देव की ओर देखा।

देव ने तुरंत ही अर्जुन की ओर देखा, "आपका हाथ खींचने के पीछे मेरा कोई शैतानी ईरादा नहीं था। यकीन कीजिए!"

अर्जुन हँस कर बोला, "जो भी हो। मैंने क्षमा किया।"

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