रोजाना अवगत कराता है,
नई-नई खबरों से,
दिखाता है संसार के सभी रंग,
मात्र कुछ पन्नों में,
समेट लेता है सम्पूर्ण संसार को,
ज्ञान का भंडार है,
प्रदान करता है अमूल्य ज्ञान,
सुबह का नाश्ता अधूरा सा रह जाता है,
जब अखब़ार सामने नही आता,
लगता है सारा दिन आधा-अधूरा सा,
अखब़ार जरूरी है,
देश और दुनिया की हवा समझने हेतु,
आगे की राह तय करने हेतु,
नित बड़ी मात्रा में,
प्रेस में छपता है अखबार,
लाखों लोगों को प्रदान करता है रोज़गार,
देता है लेखकों को जन्म,
कुठराघात करता है समाज की बुराइयों पर,
पारदर्शिता लाता है प्रसासन में,
न्याय और शांति का रक्षक,
अनेक क्रांतियों का जनक,
और क्राँतियों का सुखद अंत,
तय किया है अखबार ने,
जागरुकता का महत्वपूर्ण हथियार रहा है,
लोकतंत्र का जनक,
और लोकतंत्र का रक्षक है अखब़ार,
एक महत्वपूर्ण स्तंभ है,
जिसके ऊपर देश की राजनीति,
समाज की शांति और सुरक्षा,
निर्भर करती है,
अब नागरिक अखबार के माध्यम से,
तय करते हैं,
अपनी राजनीतिक मानसिकता।
-अरुण कुमार कश्यप
06/09/2024
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सूरज फिर निकलेगा
Poetryहेलो दोस्तों!मेरा नाम अरुण कुमार कश्यप है।यह मेरा एक स्वरचित कविता-संग्रह है।इसके माध्यम से मैं आपके सामने जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कविताएँ,गीत और गजल आदि स्वरचित रचनाएं प्रस्तुत कर रहा हूँ। Copyright-सर्वाधिकार सुरक्षित 2024/अरु...