एक डाकिया बहुत मेहनती होता है,
होता है बिल्कुल विश्वसपात्र,
एक समाजसेवी की भाँति,
लगा रहता है समाजसेवा में,
आज कंप्यूटर और मोबाइल के युग में भी,
कम नही होने दी अपनी महता,
अपने ईमानदार चरित्र के कारण,
अपने मेहनतकश गुण के कारण,
लोगों के ह्रदयों में बना रखा है एक अलग स्थान,
आज भी खत जाते हैं,
आज भी पत्र आते हैं,
बड़े पैमाने पर सरकारी कार्य भी,
आज भी डाकिया सम्पन्न करते हैं,
रखते हैं गोपनीयता का पूरा ख्याल,
इसलिए बढ़ी है समाज में इनकी ख्याति,
एक डाकिया गाँव-गाँव साईकिल से घूमता है,
बाँटता फिरता है प्रेम और विश्वास,
प्रचारित करता है सबसे सस्ते साधन को,
मात्र नाममात्र की तन्ख्वाह में,
जितना मेहनतकश उतना ही संतोषी होता है,
ना लोभ ना लालच,
सुबह से लेकर शाम तक,
गुजर जाता है सारा दिन,
गाँव-देहात घूम-घूमकर,
पाता है लोगों से आर्शीवाद और दुआएँ,
एक डाकिया हकदार होता है सच्चे सम्मान का।
-अरुण कुमार कश्यप
20/09/2024
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सूरज फिर निकलेगा
Thơ caहेलो दोस्तों!मेरा नाम अरुण कुमार कश्यप है।यह मेरा एक स्वरचित कविता-संग्रह है।इसके माध्यम से मैं आपके सामने जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कविताएँ,गीत और गजल आदि स्वरचित रचनाएं प्रस्तुत कर रहा हूँ। Copyright-सर्वाधिकार सुरक्षित 2024/अरु...