63-कट्टरवाद विध्वंसक है

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धर्म जब अतिवाद में बदल जाता है,
तब चहुँओर बस विध्वंस ही होता है,
धर्म से दर्शन निकले हैं,
या दर्शनों से मिश्रित हो बना धर्म,
प्रारंभ में अनेक दर्शनों को संजोया,
विचारों का विश्लेषण किया,
उपयुक्त विचारों को अपनाया,
और जन्म दिया धर्म को,
अपने कबीले-अपने राष्ट्र-अपने लोगों हेतु,
उनके उज्जवल भविष्य हेतु,
विकसित की जीवन जीने की सरल पद्धति,
सभी महान धर्मों को,
तर्क और तथ्य की कसौटी पर तौला गया,
और विश्व के कल्याण हेतु शांति की नींव डाली,
आज वही धर्म कट्टरवाद के शिकार होते जा रहे हैं,
उत्पन्न कर रहे हैं अशांति और अस्थिरता,
कट्टरवाद धर्म का एक नाकारात्मक पहलू है,
यह किसी भी धर्म की उन्नति का घोतक नही हो सकता,
मनुष्य मानवता का दुश्मन कभी नही हो सकता,
अतिवाद एक ऐसी दुर्बुद्धि की उपज है,
जिसने अनगिनत बार मानवता को शर्मसार किया है,
अपने पैरों तले रौंदा है,
अतिवाद किसी राष्ट्र के लिए बहुत घातक है,
यह अवैध वर्चस्व को बढ़ावा देता है,
साथ ही धर्म की भी हानि करता है,
इतिहास गवाह है,
छद्द्म धर्म के मदी कट्टरवादियों ने,
सदैव स्वयं के ही धर्म का नाश किया है।
-अरुण कुमार कश्यप
01/10/2024

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