44-महात्मा गाँधी

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बापू आप महान हो,
हो नये भारत के प्रवर्तक,
जब भारत माँ कठिनाइयों में थी,
आपने ही दिया आलम्बन,
तय किये नव प्रतिमान,
अहिंसा और उदारता अपनाकर,
गोली के समक्ष मीठी बोली,
अतिश्योक्ति तो होगी ही,
लेकिन वक्त बदलने की थी बारी,
जनता एकजुट हुई थी सारी,
आगे-आगे बापू चले,
भारत जन बन अनुयायी चले,
जुड़ बैठे रंक और राजा,
काफिला लम्बा हो चला,
एक तरफ गौरे जबरन सिंहासन पर विराजमान,
दुसरी ओर जनता के लोकप्रिय बापू का संघर्ष,
पिछड़ों-दलित-आदिवासियों से जुड़े बापू,
जन-जन के ह्रदयों में जगह बनाई,
लम्बे अरसे बाद भारतवासियों को,
एक ऐसा महात्मा मिला,
जो उन्हें अपना-सा लगा,
लगा देखकर कि अब दिन बहुराने वाले हैं,
बापू ने उनकी आकांक्षाओं के लिए संघर्ष किया,
अहिंसा के साथ सत्याग्रह और आंदोलन किए,
बापू ने दुनिया को दिखा दिया,
अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर भी,
लड़ाई जीती जा सकतीं हैं,
जब दुनिया बहा रही थी लहू,
तब गाँधी जी ने दुनिया को एक संदेश दिया,
कि गोलियों से कहीं ताकतवर लोगों की संवेदनाएँ होती हैं।
-अरुण कुमार कश्यप
21/09/2024

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