1-माँ सरस्वती अवतरण

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हे माँ सरस्वती!तेरे अवतरण से,
मिली सृष्टि को वाणी।

शांत शून्य था चित्त मानव,
तेरी वीणा का टंकार मिला।
गूँज उठा ब्रह्मांड प्रचंड,
सृष्टि को संचार मिला।
चहचहाने लगे पंछी समस्त,
कौलाहल करने लगा पानी।

हुआ कविताओं से ज्ञान उत्सर्जित,
स्वर-राग का उन्माद मिला।
बोल उठे पुस्तक पृष्ठ समस्त,
जब लेखक को संवाद मिला।
कविराज सभी गुनगुनाने लगे,
लेखक लिखने लगे कहानी।

माह माघ की शुक्ल पंचमी को,
माँ!तेरा पावन अवतार हुआ।
हर लिया जग का तम समस्त,
विद्वजनों का स्वप्न साकार हुआ।
हुए कृतज्ञ तेरे आर्शीवाद से,
जन-साधौ-संत और ध्यानी।
-अरुण कुमार कश्यप
30/09/2024

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