कितने ही देशों को जीता है,
बस यही याद आता है,
तलवार को देखकर,
उसकी तेज धार को देखकर,
जो कार्य तलवार ने किये,
बंदूक भी नही कर सकी,
तलवार ने हजारों देशों को जीता,
अनगिनत लोगों को काटा,
कितने देशों को टुकड़ों में बाँटा,
बंदूक अभी इतनी बड़ी नहीं हुई,
जो तलवार से टकरा सके,
अपनी तुलना कर सके,
बंदूक अभी बहुत छोटी है,
जैसे हाथी के समक्ष चींटी,
हिमालय के समक्ष राई,
है कहीं तुलना?
बिल्कुल नहीं,
ऐसे ही बंदूक एक चींटी है,
तलवार खुद एक हाथी,
जिसके पास लम्बा-चौड़ा इतिहास है,
हर पुरानी तलवार,
डूबी होती है,
इतिहास की चासनी में,
ये चासनी मीठी ही हो,
ये कहना बहुत मुश्किल है,
यदि एक तलवार की चासनी मीठी होगी,
तो उसकी शत्रु तलवार की चासनी,
अवश्य ही कड़वी रही होगी,
देखिये,कितना कोतुहल का विषय है,
तलवार ने इतिहास में भी रस डाल दिया,
अब हर तलवार की पहचान,
उसकी चासनी से ही की जाया करेगी,
जिसकी चासनी जितनी मीठी,
वह उतनी ही समृद्ध तलवार,
और इसके उलट,
उतनी ही दुर्बल तलवार,
यहाँ ये बात अवश्य याद रखना,
तलवार समृद्ध और दुर्बल हों सकती हैं,
लेकिन दोनों का ऐतहासिक महत्व,
सदा ही समान रहेगा,
इतिहास में सदा,
दोनों को साथ ही याद किया जाएगा।
-अरुण कुमार कश्यप
29/08/2024
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सूरज फिर निकलेगा
شِعرहेलो दोस्तों!मेरा नाम अरुण कुमार कश्यप है।यह मेरा एक स्वरचित कविता-संग्रह है।इसके माध्यम से मैं आपके सामने जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कविताएँ,गीत और गजल आदि स्वरचित रचनाएं प्रस्तुत कर रहा हूँ। Copyright-सर्वाधिकार सुरक्षित 2024/अरु...