41-रहस्यमयी ब्रह्मांड

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अनंत रहस्यों को समेटें हुए है ब्रह्मांड,
अनगिनत पिंड रहते हैं विद्यमान,
रहते हैं सदा गतिमान,
जारी रखते हैं ब्रह्मांड से बाहर जाने का सफर,
यही ब्रह्मांड के विस्तार का सार है,
ये अनंत ब्रह्मांड समेटे हुए है असीम ऊर्जा,
जिसका संचार चतुर्दिकों में होता रहता है,
कितने पिंडों का होता है उदय,
और कितनों का अंत,
अनंत काल से,
ये अनंत ब्रह्मांड अनंत की ओर अग्रसर है,
जिसका कभी भी और कहीं भी अंत नही है,
फिर भी जन्म का एक तत्व रहा होगा,
ग्रहों से पूर्व क्या था?
यह शून्य जब शून्य था,
बहुत अंधकार रहा होगा,
इतना अंधकार कि कृष्ण के सिवाय और कुछ नही,
इस अंधकार के अधिकतम घनत्व ने ही जन्म दिया,
उस ईश्वर स्वरूप प्रथम तत्व को,
जिसनें आकाशीय पिंडों को जन्म दिया,
भविष्य में इन्हीं पिंडों ने विस्फोट और गुरुत्वाकर्षण के द्वारा,
अन्य पिंडों को जन्म दिया,
यह प्रक्रिया निरंतर और शास्वत है,
ऐसे ही ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है।
-अरुण कुमार कश्यप
21/09/2024

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