40-घड़ी के इशारों पर

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प्राचीन काल में नही था घड़ी का अस्तित्व,
लोग कैसे काम चलाते होगें?
सूर्य के उठने और नीचे जाने से?
या रात्रि में तारों और चंद्रमा की स्थिति से?
बड़ा परेशानी से भरा होता होगा,
समय को ज्ञात करना,
फिर भी भारत ने ज्योतिष को जाना,
सही कालक्रम और गणनाओं को ज्ञात किया,
बिना घड़ी के ही,
आज बिना घड़ी के समय देखना असंभव-सा है,
राजाओं ने ईष्टिकाओं से सूर्य-घड़ियाँ बनवाईं,
अपने राज-काज को व्यवस्थित करने हेतु,
घड़ी के महत्त्व को वो जानते थे,
आज वही घड़ी लोगों की कलाई पर आ चुकी है,
मकानों की दीवारों पर आ चुकी है,
कंप्यूटर और मोबाईल में आ चुकी है,
लोग हो चुके हैं समय के पाबंद,
कार्यस्थल समय से खुलने और बंद होने लगे हैं,
परिवहन-विद्यालय-बैंक जैसे सभी छोटे-बड़े संस्थान,
घड़ी के इशारों पर ही कार्य करने लगे हैं,
आज एक किसान भी घड़ी देखकर कार्य करता है,
एक मजदूर भी घड़ी देखकर ही कार्य करता है,
और समय से कार्य सम्पन्न करने के बाद,
अपने घर लौट आता है,
एक अच्छा शिक्षार्थी समय का बहुत पाबंद होता है,
स्कूल आने और जाने हेतु,
सदा नजर बनाये रखता है वो घड़ी पर,
अब शुभ मुहूर्त शुभ घड़ी में बदल चुके हैं,
घड़ी समय के साथ विकसित हुई है,
और समय के साथ-साथ अधिक महत्त्वपूर्ण भी।
-अरुण कुमार कश्यप
20/08/2024

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