जिस प्रकार पहिये के आविष्कार ने,
मनुष्य के जीवन में क्राँति का संचार किया था,
उसी प्रकार विद्युत का आविष्कार भी,
मील का पत्थर साबित हुआ है,
पूर्व में जो तड़ित,
आसमान में बादलों के संग गरजती थी,
इंसान ने उसे तारों और केबिलों में उतार लिया है,
आज वही विद्युत,
मनुष्य के जीवन को गति प्रदान कर रही है,
आज मनुष्य का जीवन,
विद्युत को गुलाम बनाने के उपरांत,
स्वयं विद्युत का गुलाम हो चुका है,
आज मनुष्य को सुबह से लेकर शाम तक,
विद्युत पर निर्भर रहना पड़ता है,
मोबाईल,बल्ब,टीवी,कार,बस और रेल आदि,
सभी विद्युत के सहारे कार्य करते हैं,
आज विद्युत मनुष्य के जीवन का,
अभिन्न अंग बन चुकी है,
इसके बगैर किसी भी वर्ग या कोटि के इंसान की,
सुखद जीवन की आशा नही की जा सकती,
विद्युत एक वरदान है,
इसे अभिशाप मत बनने देना,
अपनी दिनचर्या को इतना भी सरल मत बनाओं,
कि शरीर निष्क्रिय ही हो जाये,
आपका शरीर ही विद्युत को समर्पित हो जाये,
जिन कार्य को हाथों से कर सकते हो,
जिन कार्यों को पैरों से कर सकते हो,
उनमें विद्युत का सहारा लेने से बचना चाहिए,
इसे विद्युत भी बचेगी,
और आप भी।
-अरुण कुमार कश्यप
06/09/2024
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सूरज फिर निकलेगा
Poésieहेलो दोस्तों!मेरा नाम अरुण कुमार कश्यप है।यह मेरा एक स्वरचित कविता-संग्रह है।इसके माध्यम से मैं आपके सामने जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कविताएँ,गीत और गजल आदि स्वरचित रचनाएं प्रस्तुत कर रहा हूँ। Copyright-सर्वाधिकार सुरक्षित 2024/अरु...