8-दिल की भूमिका

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दिल भी कितना सीधा-सादा होता है,
कितनी संवेदनाओं से भरा होता है,
लेकिन प्रत्येक ह्रदय एक सा नहीं होता,
हर ह्रदय नही होता सीधा-सादा,
हर ह्रदय नही होता दयालु,
कुछ दिलों में इर्ष्या भरी होती है,
कुछ में क्रौध,
कुछ में बदले की भावना,
तो कुछ में एहसान,
हर दिल कुछ कहता है,
प्रेम होने पर,
उस दिल को ही,
दे देते हैं,
अपनी प्रेमिका को,
या वो खुद ही ले लेती है,
लेकिन जब उस दिल में,
भरी रहती है इर्ष्या,
भरी रहती हैं बदले की भावना,
तो वह अपनी प्रेमिका को,
कैसे दे दिया जा सकता है?
वह उसको कैसे ग्रहण कर सकती है?
बहुत सोचने वाली बात है,
दरअसल प्रेम,
पूर्व से ही ह्रदय में भरा होता है,
कभी दुर्भावना और इर्ष्या,
उस पर एक आवरण चढ़ा देतीं हैं,
यह आवरण जब अधिक समय तक रहता है,
तो वह मानव पत्थर दिल कहलाता है,
जिस पर यह आवरण नहीं होता,
वह मनुष्य इंसान कहलाता है,
यह हमेशा याद रखना चाहिए,
ह्रदय पर कभी भी आवरण न हो,
पत्थरदिल नही,
बस इंसान बनों।
-अरुण कुमार कश्यप
30/08/2024

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