Bra Dare

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जितिन, श्वेता और सुनीता अपने लिविंग रूम में एक टेबल के चारों ओर बैठे हुए थे। बीच में एक खाली बोतल घूम रही थी, एक बोतल जो "सत्य या डेयर" के एक मजेदार खेल का केंद्र थी।

हवा हल्की हंसी से भर गई थी, श्वेता की आंखें चमक रही थीं, सुनीता की मुस्कराहट चालाकी से भरी थी, और जितिन, अपने हाथों को हवा में उठाकर, एक नायक की तरह तैयार था।

"ठीक है, मिस्टर सत्यवादी," श्वेता ने छेड़ते हुए कहा, "बोतल आखिरकार आपके सामने आ गई है। क्या आप सच बोलेंगे या डेयर स्वीकार करेंगे?"

जितिन ने अपने सीने को चौड़ा किया। "डेयर, बिल्कुल! मैं कुछ भी कर सकता हूँ!"

सुनीता ने एक नाटकीय झटका लगाया। "ओह, मिस्टर बहादुर! ठीक है, मैं आपको एक ऐसी डेयर दूंगी जो आपको याद रहेगी।"

वह धीरे-धीरे टेबल के नीचे झुकी और अपने टी-शर्ट के पीछे से हाथ बढ़ाया। एक पल की खामोशी के बाद, उसने अपने ब्रा को अनहुक किया। फिर, बिना अपनी टी-शर्ट उतारे, उसने धीरे-धीरे, धीरे-धीरे अपने ब्रा को बाहर निकाला, एक करतब जो केवल लड़कियां ही कर सकती थीं।

उसने हवा में फेंक दिया और जितिन की ओर इशारा करते हुए कहा, "यह आपकी चुनौती है, मिस्टर जितिन! इसे वापस पहनें, बिना अपनी टी-शर्ट उतारे।"

जितिन की आंखें चौड़ी हो गईं, उसकी मुंह खुला रह गया। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया, और वह एक मूर्ति की तरह स्थिर हो गया।

श्वेता हंसने से खुद को रोक नहीं पा रही थी। सुनीता ने जोर से ताली बजाई।

"तो, मिस्टर हीरो?" सुनीता ने पूछा, उसकी आवाज़ में एक शरारती हंसी के साथ। "क्या आप डेयर स्वीकार करते हैं?"

जितिन ने झपकाया, फिर एक बड़ी सांस ली। उन्होंने अपनी टी-शर्ट को देखा, फिर वापस ब्रा की ओर देखा, जो हवा में घूम रहा था।

जितिन ने सुनीता की ब्रा को धीरे-धीरे उठाया, उसे अपनी ओर लाया और उसकी ब्रा को पीछे की ओर घुमाने की कोशिश की। मगर, ब्रा का हुक उसके अनाड़ी हाथों में फंस गया, जितना वो जोर लगाता, उतना ही ज्यादा वो उलझता जाता।

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