एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में बाबा अद्भुतनाथ रहते थे। वे एक महान सिद्ध योगी थे। उनके पास कई चमत्कारी शक्तियां थीं। वे लोगों की समस्याओं को दूर कर देते थे और उन्हें दुखों से मुक्ति दिलाते थे।
एक दिन, बाबा अपने hawan kund के सामने बैठे थे। उनकी आंखें बंद थीं। वे कुछ मंत्रों का जाप कर रहे थे। तभी एक आवाज से बाबा की आंखें खुल गईं। एक आत्मा उनके सामने, लेकिन बाबा के बनाए घेरे से दूर बैठी थी। आत्मा हंस रही थी। बाबा ने क्रोध से उसकी ओर देखा और कहा, "तू वापस आ गया?"
आत्मा ने कहा, "हां बाबा, मैं वापस आ गया। और कितने दिन मुझे इस धरती पर भटकना होगा? मुझे या तो मुक्ति दो या एक शरीर दो।"
बाबा ने अपनी आंखें फिर बंद कर लीं और कुछ देर बाद अपनी आंखें खोलीं। आत्मा से कहा, "तुझे मुक्ति के लिए एक शरीर में 10 वर्ष तक रहना होगा। उसके बाद ही तुझे मुक्ति मिलेगी। इन 10 वर्षों में तुझे अपने अधूरे काम पूरे करने होंगे। और याद रखना, तू किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। इंसान के शरीर में तेरी शक्तियां सीमित रहेंगी।"
आत्मा ने बाबा की बातें ध्यान से सुनीं और कहा, "वो सब ठीक है। लेकिन शरीर का क्या? शरीर कहां से लाऊं?"
बाबा ने कुछ सोचते हुए कहा, "ठीक है, मैं देखता हूं। तुम अब जाओ। मेरे ध्यान का समय हो गया है।"
आत्मा ने बाबा को प्रणाम किया और वहां से चली गई।
अमावस्या की रात, जंगल में दो आदमी एक लड़की की लाश को उठाकर जंगल के सबसे सुनसान इलाके में आ गए। वे दोनों आदमी बहुत ही डरे हुए थे। वे जानते थे कि जो काम वे कर रहे हैं, वह गलत है।
उन्होंने लड़की की लाश को एक पेड़ के नीचे रख दिया। फिर, वे दोनों आदमी एक तरफ खड़े हो गए और एक दूसरे को देखने लगे।
एक आदमी ने कहा, "अब क्या करें?"
दूसरे आदमी ने कहा, "मुझे नहीं पता। लेकिन हम इस लाश को यहीं छोड़ नहीं सकते। हमें इसे कहीं और ले जाना होगा।"
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Feminine
FantasyIt's never too late to learn something new. With the support of a loved one, anything is possible.