Masquerade of Mirrors

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मुंबई की जगमगाती रात में, एक शानदार अपार्टमेंट के आलीशान कमरे में, जितिन बेचैनी से आईने के सामने खड़ा था। आज की रात कुछ अलग थी, कुछ खास थी। उसके पैरों में एक काले रंग की लॉन्ग स्कर्ट सटीक फिट होकर बह रही थी, ऊपर छाती को एक काली ब्रा से ढका हुआ था। लेकिन उसके बाद क्या पहने, ये सवाल उसे परेशान कर रहा था।

“वो ब्लैक वाली क्रॉप टॉप तुम्हारे ऊपर बहुत अच्छी लगेगी। ट्राई करके देखो ना!” श्वेता ने कमरे के दरवाजे पर खड़े होकर कहा, उसकी आवाज में एक हल्की शरारत छिपी थी।

जितिन ने अपनी हिचकिचाहट को दबाया और ब्लैक क्रॉप टॉप उठाकर पहन लिया। आईने में खुद को देखते हुए उसने एक गहरा सांस लिया। काले कपड़े उसकी त्वचा की चमक को बढ़ा रहे थे, ब्रा की पतली पट्टियाँ उसके कंधों को उभार दे रही थीं और क्रॉप टॉप उसकी पतली कमर को और भी आकर्षक बना रहा था।

एक पल के लिए उसे खुद पर ही विश्वास नहीं हुआ। वो जितिन, जिसने कभी लड़की बनने का सपना तक नहीं देखा था, आज एक खूबसूरत लड़की के रूप में सामने खड़ा था। श्वेता की हौसलाअफजाई भरी आवाज ने उसे इस बदलाव को स्वीकार करने में मदद की।

“बिल्कुल! तुम बिल्कुल उम्दा लग रहे हो, जितिन। कोई शक नहीं करेगा कि तुम असली लड़की हो।” श्वेता ने उसकी ओर बढ़कर एक हल्का सा मेकअप भी लगा दिया, आंखों को काजल से और होंठों को गुलाबी लिपस्टिक से सजाते हुए।

अब जितिन की शक्ल पूरी तरह से बदल चुकी थी। चेहरे पर एक हल्की लाली छा रही थी, आंखें शरारत से चमक रही थीं और चेहरे पर एक नया आत्मविश्वास झलक रहा था।

जितिन ने ब्लैक क्रॉप टॉप पहन लिया और आईने में खुद को निहारा। लुक तो अच्छा बन रहा था, लेकिन अभी भी कुछ कमी लग रही थी। श्वेता भी उसकी इस असमंजस को भांप गई।

“कुछ तो मिसिंग लग रहा है, ना?” श्वेता ने कहा, उसकी आवाज में गहरी सोच छिपी थी।

जितिन ने सहमति में सिर हिलाया, “शायद हाँ। पता नहीं क्या है, पर ऐसा लगता है कुछ पूरा नहीं हुआ।”

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