जुनून की लाल लिपस्टिक की धार हल्के हरे रेशम पर ठहरती, जतिन सोफे पर अधलेटा हुआ टीवी की रोशनी में भी खामोश नज़र आता था। हल्के हरे रंग की साड़ी का पल्लू उसकी गोद में फैला हुआ था, मैचिंग ब्लाउज़ सलीके से उभरे कंधों को और भी निखारता था। आँखों पर स्मोकी मेकअप का जादू छाया हुआ था और भारी झुमके झिलमिला रहे थे। कमरे का सन्नाटा सिर्फ टीवी के धीमे म्यूजिक से टूट रहा था।
तभी किचन से एक ट्रे में दो कप कॉफी लिए श्वेता सामने आई। कॉफी रखते हुए उसने पूछा, "आज इतना सज संवर के कहाँ खोए बैठे हो?"
जतिन ने होंठों पर एक बनावटी मुस्कान लाते हुए कहा, "याार, बस यूं ही मन हुआ आज ये साड़ी पहनूँ।"
श्वेता ने हल्के से नाक सिकोड़ते हुए कहा, "घर में बैठे इतना मेकअप करने की क्या ज़रूरत है, डियर? सिर्फ साड़ी पहन लो, जब बहार जाना हो तब मेकअप करना।"
जतिन ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए कॉफी का एक घूंट लिया और मोबाइल निकाल लिया। उसने एक सेल्फी ली, फिर श्वेता को भी पास खींचकर उसके साथ एक और सेल्फी ली। तस्वीर को सोशल मीडिया पर डालते हुए उसने कैप्शन दिया, "With my sis."
एक हल्की सी मुस्कान श्वेता के चेहरे पर खिली, ये जानकर कि जतिन ने डिनर के लिए उसकी हामी ली। धीरे से कॉफी का कप नीचे रखते हुए उसने कहा, "मैं तो ज़रूर चलूंगी। अभी तैयार होकर आती हूँ।"
जतिन ने उसी बनावटी लहजे में कहा, "ठीक है, मैं तो इसी साड़ी में रहूँगा।"
श्वेता ने एक बार फिर से जतिन की ओर देखा। उसकी आँखों में एक उम्मीद की किरण दिखी, जो जतिन को शायद नज़र नहीं आई। कमरे की तरफ मुड़ते हुए श्वेता ने मन ही मन सोचा, "आज रात शायद कुछ अलग होगा।"
कुछ ही मिनटों में श्वेता कमरे से बाहर निकली। जतिन की आँखें एक पल के लिए थम सी गईं। श्वेता ने हल्के गुलाबी रंग का वन-पीस ड्रेस पहना हुआ था, जो उसकी खूबसूरती को और निखार रहा था। उसके चेहरे पर न ज़्यादा मेकअप था, न कोई भारी गहने, बस एक सिंपल पेंडेंट जो उसकी गर्दन को सुशोभित कर रहा था।
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Feminine
FantasyIt's never too late to learn something new. With the support of a loved one, anything is possible.