वक़्त नहीं...

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आज हर ख़ुशी हैं लोगो के दामन में
ख़ुशी को सब के साथ सांझा करने
के लिए वक़्त नहीं,
दिन रात दौड़ती दुनिया मैं ज़िन्दगी जीने के लिए भी वक़्त नहीं
माँ की लोरी का एहसास तो दिल में है
मगर माँ को माँ कहने का अब वक़्त नहीं,
सारे रिश्तो को तो हम खुद ही मार चुके
पर अब उनको सलीके से दफनाने का भी
वक़्त नहीं,
सारे नाम अब मोबाइलो मैं जरूर है,
पर दोस्ती के लिए अब वक़्त नहीं
गेरो की अब क्या बात करे , जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं,
आँखो मैं हैं अनगिनत रातों की नींदे भरी
पर सोने का अब वक़्त नहीं,
दिल हैं ग़मो से भरा हुआ, पर खुल कर
रोने का भी वक़्त नहीं,
पैसे की दौड़ मैं ऐसे दौड़ते जा रहे है कि
अब थकने का भी वक़्त नहीं,
पराये सपनो की क्या कद्र करे
जब अपने सपनो के लिए अब वक़्त नहीं,
तू ही बता ए ज़िंदगी, अब इस ज़िन्दगी का क्या होगा? कि हर पल मरने वालो को
अब जीने के लिए भी वक़्त नहीं...✍

Jaswinder chahal
14/1/2024

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