अब वो मिलती नहीं...

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हर दिन चुभती हैं आँखें क्यूँ नमी अब मिलती नहीं
गुम है जो कहीं वो, जिंदगी अब वो मिलती नहीं
सौगातें तो ग़म की खोई हुई तो बहुत मिलती हैं
मगर खोई हुई ख़ुशियाँ ही कभी मिलती नहीं
उम्मीदों खुईशो की राहें तो बहुत जर्जर हो चुकी
मंज़िल कहाँ है आखरी, वो कभी मिलती नहीं
अब यह दौर ज़िंदगी का बेहद दर्दनुमा लगता है
मिलती हैं हर जगह उदासीया कभी ख़ुशी मिलती नहीं
ज़ब भी कोई कहे ऐसा तुमने उसमे में क्या देखा
कहता हैं मेरा मन उस मेहबूब जैसी सादगी कभी दिखती नहीं...✍

Jaswinder chahal
16/1/2024

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