रात...

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ज़िंदगी में अक्सर कभी कभी ऐसे मुकाम
भी आते है
जैसे एक खाली सा कमरा
लहराती हुई हवा
सामने खिड़की से झांकता मदमस्त चांद
आंखें खुली हुई
जो कभी चांद को कभी दीवारों को तकती हुई
कुछ ज़िद और कुछ जद्दोजहद ज़िंदगी की
कुछ ख्वाहिशें दबी हुई और कुछ बिखरे हुए
से ख्वाब
कुछ ज़माने की बातें चुभती हुई दिल में
कुछ नफरतें अपनों की भी पनपती रहती है
दिल में
मगर आंखें नींद से आधी बंद सी
आधी हैरानी से खुली हुई
और फिर रात की खामोशी में
एक घड़ी टिक टिक करती हुई
जैसे सदियों से इस रात के गुजरने का इंतजार
करते हुए,,...✍
Jaswinder chahal
31/5/2024

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