प्रतीक्षा तो केवल पीपल का वृक्ष ही करता है
उस पर बंधे मनौतियों के धागों के खुलने की
हर शाम बच्चों के संग लुका छिपी खेलने की
ससुराल को विदा होती बेटियों के
सावन में घर लौटने की ख़ुशी
उसके तने पर खुदरी, हुई प्रेम से भरी गयी
दर्जनों हामियों के प्रेम कथा बन जाने की
और फ़िर सदियों पहले किसी महापुरुष के
उसके नीचे बैठकर ज्ञान प्राप्त करके,
"बुद्ध" बन जाने की
और हम उसे अब मामूली पेड़ समझ कर
काटते जा रहे है...✍Jaswinder chahal
6/6/2024
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Navigating Life tapestry : through quotes शब्द
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