सच...

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यह ज़िंदगी का बहुत बड़ा सच है दोस्त
ये जो तुम मचल रहे हो ना उन्नीस पर
पूरी जिम्मेदारियां घेर लेंगी पच्चीस पर
भाग रहे हो ना रात-दिन यहा वहा के लिए
जब थकने लग जाओगे, पैंतीस पर
जिस्म हमेशा यूं ही नहीं रहता दोस्त
देखो एक दिन टूट से जाओगे पैंतालीस पर
ये भाग दौड़ भरी ज़िंदगी थम सी जायेगी साठ पर
बाकी के दिन बैठ बैठ कर जाना काम पर
छूट जायेंगे प्राण तुम्हारे किसी दिन एक खांसी पर
अगर गलती से पहुंच गए तुम अस्सी पर
अब यह सच है कड़वा हंस चाहे रो
कभी मुश्किल से ही पकड़ेगा आंकड़ा तुम सौ का...✍

Jaswinder chahal
18/1/2024

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