स्त्री...

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दुनिया में हर स्त्री को
भावनात्मक तौर पर
बहुत मजबूत होना चाहिए
इतना कि जब वो पुरुष के आंसू देखे तो
रेत की तरह उसके आंसुओं के साथ
बह ना जाए, वो सही गलत को जरूर देखे
अगर सही है, तो उसकी ढाल जरूर बन जाए
पर स्त्री को इतना मजबूत होना ही चाहिए कि
हर बार अपने अश्रु पोंछने के लिए
वो किसी पुरुष का रूमाल ना खोजे
और न ही खोजे हर बार किसी पुरुष का
कधा जिस पर सर रख के
वो जीवन का हर दुख भुल जाए।
ज़िंदगी में प्रेम कितना भी गाढ़ा क्यों न हो
रूमाल हवाओं में कहीं खो जाया करते हैं
और कधा हौले से सरक जाया करते हैं...✍

Jaswinder chahal
27/9/2024

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