अध्यात्म...

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ज़िंदगी में हमारा अकेलापन कभी कभी
अध्यात्म हो जाता है
एक सूक्ष्म गंभीर ध्यान अवस्था
फिर बुरे अच्छे सारे चेहरों का अध्ययन होता है
अपने आक्रोश की विवेचना होने लगती है
चेहरे पर टेढ़ी रेखाओं का तापमान
शांत स्थिर ढंग से समझ में आने लगता है
मन के अपार विचार प्रगट हो जाते है
और इनके अर्थ स्पष्ट होने लगते हैं
कुछ भी पाने के लिए जीवन में
कुछ देने का मार्ग अपनाना होता है
क्यू कि इस सृष्टि में जीवन यात्रा करना
आसान तो नही है...✍

Jaswinder chahal
28/9/2024

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