ख़तम...

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दुनिया में वक़्त ढल रहा है, हर पल बदल रहा है
मगर इंसान की आँखों में ख़्वाब जल रहे है
हसरत-ए-ख्वाहिश लिए दिल में, हर शख़्स
अन्दर ही अन्दर अपने हर रोज़ मर रहा है
कहने को तो आज सैकड़ो दोस्त हैं सबके
मगर एक अधूरापन सब के अन्दर पल रहा है
ना उम्मीदी, निराशा, बैचैनी, और बेबसी लिए इंसान
ख़ुद ही ख़ुद में ना जाने कितना खप रहा है
यूँ ही गुज़रते जाने का नाम है यह ज़िन्दगी
इंसान का वजूद और इंसानियत अब तो सब ख़तम हो रहा है।...✍

Jaswinder chahal
23/6/2024

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