एक कविता है,
एक कविता है दिल मे छुपि हुई,
छुपि है डर से
छुपि है डर से
एक कविता!
शब्दों के बाज़ार मे,
शब्द नहीं मिले,
इस कविता के लिए,
छुपि है दिल मे अब तक,
इसी डर से!
बयान कैसे करूँ,
एक एहसास भर है,
एहसास जो तुमसे जुड़ा है,
पहली मुलाक़ात से जुड़ा है,
तुम्हारी हर बात से जुड़ा है,
उन एहसास के मोतियों से सजी एक माला
है मेरी कविता,
कविता जो दिल मे छुपि है!
ठीक तुम्हारी हसीं के जैसे,
बिना शब्दो वाली,
बस एक हसीं, जो तुम्हारे होठों पे,
सर्दी की बर्फ जैसे थम गई हो,
वह ठिठुरता एहसास है मेरी कविता!
काग़ज़ पे रुक गई है मेरी कलम,
और शब्द, नाव से नदी में कूद रहें है,
बिना शब्दो की ये नाव, मेरे दिल के झीलो मे,
बन गई है अब एक कविता...
एक कविता,
लिख नही पाऊँगा कभी,
गुनगुना सकता हूँ अकेले मे,
याद कर के वो पल,
मेरे हाथों में तुम्हारी उंगलियाँ
कैसे उलझ गई थी ना?
वो उलझन ही है मेरी कविता...
पतझड़ में टूटते पत्ते
जैसे शाखो से अलविदा कह रहे हो,
वैसा ही कुछ मैं महसूस कर रहा था,
जब तुम्हारी ट्रेन तुम्हे ले गईं
शायद उन्ही आँसुओ मे कही छिप गई वो
वो कविता,
मेरी कविता!
आप पढ़ रहे हैं
दरवाजे पर दस्तक
Poetry[Highest rank: 34] तेरी मासूमियत को मेरी रूह चूमती थी, तेरी रूह को मेरी नवाजिश रास आती थी! It's a collection of my Hindi/Urdu Poetry.