इस दर्द का कोई इलाज़ बता दो यारों
एक पहेली है उसे सुलझा दो यारों।
उलझन में डूबा दिन डूबी रात मेरी,
शाम में आकर मन बहला दो यारों।
उसका चेहरा है छपा हर कोने में दिल के,
उसकी तस्वीर अब कोई हटा दो यारों।
गुलशन के हर गुल की महक है वो
आकर उस महक को मिटा दो यारों।
इंतज़ार है किसी का गर तो उसका है,
मेरा दिल कहीं ओर लगा दो यारों।
तंग आ गया हूँ खोकर खयालों में उसके,
मेरी पुरानी राहें मुझे लौटा दो यारों।
आप पढ़ रहे हैं
दरवाजे पर दस्तक
Poetry[Highest rank: 34] तेरी मासूमियत को मेरी रूह चूमती थी, तेरी रूह को मेरी नवाजिश रास आती थी! It's a collection of my Hindi/Urdu Poetry.