अध्याय 6 (भाग 5)

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इन्द्रजीत को अपने समक्ष देख अर्जुन को सुरक्षित लगने लगा किंतु उसके अश्रु थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वह अति भयभीत हो चुका था। केशव ने तुरंत अर्जुन का हाथ बलपूर्वक अपनी ओर खींचा जिससे अर्जुन को पीड़ा हुई।

"कुमार अर्जुन!" इन्द्रजीत चिल्लाया और उसने अपनी तलवार केशव की ओर कर ली।

उसी क्षण देवेन्द्र उनके बीच में आ गया। "अहो भाग हमारे! जो स्वर्ण लोक के युवराज स्वयं यहाँ पधारे।" उसने मुस्कराते हुए इन्द्रजीत की ओर देखा, "स्वागत है!"

इन्द्रजीत क्रोध में केवल देवेन्द्र के पीछे खड़े केशव को ही देख रहा था। अर्जुन केशव से अपना हाथ छुड़वाने का प्रयास कर रहा था किंतु वह कुछ ना कर पाया।

देवेन्द्र ने इन्द्रजीत की तलवार नीचे करते हुए कहा, "सबसे पूर्व हमे मेरे मित्र का विवाह सम्पन्न होने देना चाहिए। उसके पश्चात्‌--" उसके बोलने से पूर्व ही इन्द्रजीत ने तुरंत अपनी तलवार उसी पर साध दी जिससे देवेन्द्र दंग रह गया। उसने इन्द्रजीत के नेत्रों में देखा। उनमे कोई भय नहीं था। वे दोनों एक दूसरे की ओर देखे हुए थे।

"मैं ऐसा नहीं होने दूँगा!" इन्द्रजीत ने क्रोध भरी ध्वनि से कहा।

ये देखकर केशव अति शीघ्र विवाह सम्पन्न करने का प्रयास करने लगा। तभी रामनिवास के बाहर से शोर आने लगा। ज्ञात हुआ कि राजकुमार अंशुमन अपनी विशाल सेना संग वहाँ पहुँच चुका था। देवेन्द्र चकित रह गया। उसने केशव को वचन दिया था कि वह उसके और अर्जुन के विवाह में कोई भी अड़चन नहीं आने देगा। उसने तुरंत अपने सैनिकों को द्वार बंद करने की आज्ञा दी किंतु उससे पूर्व ही अंशुमन की सेना भीतर आ धमकी थी।

केशव ने घबराते हुए अर्जुन को देख उसका हाथ प्रेम से सहलाया, "कुछ नहीं होगा!" उसने उससे कहा। उसने देखा कि अर्जुन तो उसकी ओर देख भी नहीं रहा था। वह रोते हुए केवल इन्द्रजीत की ओर देख रहा था। उसने इंद्रजीत की ओर देखा। इन्द्रजीत के हाथ पर घाव बन चुका था जिससे रक्त बह रहा था किंतु उसे पीड़ा से कोई अन्तर नहीं पड़ा। वह लगातार अर्जुन की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा था। जबकि उसे सैनिकों ने जकड़ रखा था।

अंशुमन के सैनिकों ने चारों ओर से रामनिवास को घेर लिया था। तभी अंशुमन भीतर पधारा। देवेन्द्र उसकी ओर गया और उसे प्रणाम किया। अंशुमन ने केशव के को अर्जुन का हाथ पकड़े देख क्रोध भरी आह भरी। उसने इन्द्रजीत को देखा और आश्चर्य चकित रह गया, "सवर्ण लोक के युवराज?" उसने सोचा।

"आप यहाँ कैसे, कुमार?" देवेन्द्र ने हँसते हुए कहा।

"मैं किसी को अपने साथ ले जाने आया हूँ।" अंशुमन ने कहा।

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